अरावली की गहराई में छिपा तिलकेश्वर महादेव मंदिर, 50 फीट गुफा में जंजीरों के सहारे होते हैं दर्शन

बाली, पाली : सिरोही और उदयपुर की सीमाओं के मध्य अरावली की घनी वादियों में एक रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर स्थित है — तिलकेश्वर महादेव मंदिर, जहां श्रद्धालुओं को भगवान शिव के दर्शन के लिए करीब 50 फीट गहराई तक गुफा में उतरना पड़ता है। यह मंदिर पाली जिले की बाली उपखंड की भीमाणा ग्राम पंचायत के पास कासरोटा फली में स्थित है और उदयपुर की सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है।
मंदिर की विशेषता यह है कि यहां कोई पक्की सीढ़ियां या रास्ता नहीं है। श्रद्धालुओं को पत्थरों और पेड़ों से बंधी 5 से 7 जंजीरों व लोहे की सीढ़ियों के सहारे नीचे उतरकर गुफा में पहुंचना होता है। यह सफर दुर्गम जरूर है, लेकिन श्रद्धा की शक्ति और मान्यताओं के चलते हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां आकर तिलकेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं।
गुफा के भीतर पहुंचने के बाद भी भगवान के दर्शन सीधे नहीं होते — श्रद्धालु को लोहे की सीढ़ियों पर खड़े रहकर ऊपर की ओर दर्शन करने होते हैं, क्योंकि शिव की प्रतिमा गुफा तल से करीब 10 से 15 फीट ऊपर विराजमान है।
विशेष आकर्षण:
गुफा के बाहर और मंदिर क्षेत्र में सालभर बहने वाला झरना, जो इस स्थल की प्राकृतिक पवित्रता को और बढ़ाता है।
यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और मंदिर की देखरेख भी स्थानीय ग्रामीणों की मदद से होती है।
श्रावण और भादवा महीनों में यहाँ दर्शनार्थियों की सबसे अधिक भीड़ होती है।
यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और साहसिक यात्रियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यहां पहुंचने के लिए स्थानीय लोगों की सहायता लेना आवश्यक होता है।
रिपोर्ट: परीक्षित पालीवाल, बाली